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मुताह निकाह

क्या ये व्याभिचार या अय्याशी  नहीं ? बेहयाई इस्लामी प्रथा सोचे!🤔 ‘मुताह’ का शाब्दिक अर्थ है ‘आनंद’, ‘मज़ा’, ‘प्लेजर’. इसी एक बात से ये पता चलता है कि मुताह शादी का कितना वाहियात रूप है. महज़ मज़े के लिए शादी. इस्लाम में वेश्यावृत्ति हराम है ! क्या यू ये प्रथा के नाम पर  रं  डी बाजी नहीं!! जिस्म बेचने या खरीदने पर पाबंदी है. निकाह के अलावा किसी भी तरह का शरीरसंबंध ‘जिनाह’ माना जाता है. सिंपल शब्दों में अवैध संबंध, व्यभिचार. ऐसे में मुताह निकाह और कुछ नहीं, मज़हब की हदों में रहते हुए बदफैली करने का उपाय ही प्रतीत होता है.

मुताह निकाह को आसानी से समझा जाए तो ये एक कॉन्ट्रैक्ट मैरिज है. इसमें एक तयशुदा समय के लिए, मेहर की एक मोटी रकम तय करके निकाह होता है. मेहर एडवांस में पे होता है. अनुबंध तीन दिन से लेकर कितने ही वक्फे का हो सकता है. एक बार मियाद तय होने के बाद उसे बदला नहीं जा सकता. मुताह का कॉन्ट्रैक्ट शाब्दिक या लिखित किसी भी रूप में हो सकता है. निकाह के वक़्त दोनों लोगों को ये घोषित करना होता है कि ये एक मुताह निकाह है और वो इसकी तमाम शर्तों से वाकिफ हैं. ये मुख्य रूप से शिया मुसलमानों में प्रचलित प्रथा है.

मुस्लिम निकाहनामे का एक नमूना.

मुताह निकाह की कुछ शर्तें होती है. जैसे:

# लड़की पवित्र हो.

# उसका मुस्लिम होना ज़रूरी है. या कम से कम अहले किताब हो.

# वो पहले से शादीशुदा न हो.

# व्यभिचार में लिप्त न हो.

# नाबालिग़ न हो.

दिलचस्प बात ये कि तमाम शर्तें औरतों के लिए है. मर्द किसी भी उम्र का, किसी भी रंग-रूप का, खेला खाया या कुंवारा एलिजिबल है. तयशुदा कॉन्ट्रैक्ट की अवधि ख़त्म होने के बाद मुताह निकाह समाप्त हो जाता है. इसके बाद भी औरत को छुट्टी नहीं है. उसे इद्दत पूरी करनी पड़ती है.

इद्दत चार महीने दस दिन की उस मियाद का नाम है, जिसमें औरत एकांतवास में, किसी भी मर्द की छाया से परे समय गुज़ारती है. उसके बाद ही वो किसी और से शादी के लिए लायक बन सकती है. मुताह निकाह की इस्लामिक स्कॉलर भी आलोचना करते रहे हैं. वो इसे हवसपरस्ती का ही कानूनी तरीका मानते हैं. मुताह निकाह की आलोचना एक और वजह से भी होती है. वो है इस निकाह के नतीजे में पैदा हुए बच्चों का सामाजिक स्टेटस. बिना जायज़ निकाह के पैदा हुए बच्चों की सामाजिक स्वीकार्यता का रेट बहुत कम है. ऐसे बच्चे जीवन भर एहसासेकमतरी से जूझते रहते हैं.

मुताह निकाह यकीनन एक शर्मसार करनेवाली प्रथा है. इसकी मुखालफत करती तमाम आवाज़ों की हौसलाअफज़ाई होनी चाहिए.

फोटो: प्रतीकात्मक

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